बिहार में संविदा एएनएम और एनएचएम कर्मियों का आंदोलन: सरकार के साथ बढ़ता तनाव

बिहार में संविदा एएनएम और एनएचएम कर्मियों का आंदोलन: सरकार और स्वास्थ्य कर्मियों के बीच गतिरोध

पटना, 8 अगस्त 2024 – बिहार में संविदा एएनएम (अनुदानित नर्स) और एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) कर्मियों का आंदोलन एक महीने से जारी है। इन कर्मियों की मुख्य मांग चेहरा पहचान उपस्थिति प्रणाली (FRAS) को वापस लेने और अन्य सात मांगों को लेकर है। हालांकि, बिहार सरकार अब तक इस पर कोई सकारात्मक कदम नहीं उठा पाई है।

आंदोलन की प्रमुख बातें:

  1. कार्य वहिष्कार जारी: संविदा एएनएम और एनएचएम कर्मी 8 जुलाई 2024 से अनिश्चितकालीन कार्य वहिष्कार पर हैं। यह कदम FRAS प्रणाली के विरोध में उठाया गया है, जिसे कर्मियों ने अव्यवहारिक और उत्पीड़क बताया है।
  2. प्रदर्शन और धरना: पूरे बिहार में जिला समाहरणालय परिसरों और राज्य स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यालयों के बाहर संविदा कर्मियों ने प्रदर्शन किया। इसमें जिला के वरिष्ठ अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा गया।
  3. सेवाओं पर असर: विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, सोमवार से ये कर्मी बच्चों के टीकाकरण और मरीजों के उपचार सेवाओं को बाधित करेंगे, हालांकि इमरजेंसी सेवाएं चालू रहेंगी। इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर बड़ा असर पड़ सकता है।
  4. सरकार से वार्ता की मांग: स्वास्थ्य कर्मियों ने राज्य सरकार से अपनी मांगों पर गंभीरता से विचार करने और सम्मानजनक वार्ता करने की अपील की है। उनका कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

आंदोलन के आगामी कदम:

संविदा एएनएम और एनएचएम कर्मियों की राज्य स्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया कि अगर सात दिनों के भीतर सरकार उनकी मांगों पर सकारात्मक निर्णय नहीं लेती है, तो कार्य वहिष्कार आंदोलन को तीखा किया जाएगा। इसके तहत विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान पैदा करने की योजना बनाई जा रही है।

बिहार में स्वास्थ्य कर्मियों का यह आंदोलन राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित कर रहा है और यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है अगर सरकार जल्द ही कोई समाधान नहीं ढूंढती। सरकार और कर्मियों के बीच बढ़ता यह तनाव राज्य की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं पर भी गहरा असर डाल सकता है।


Disclaimer: इस लेख का उद्देश्य सरकार और संविदा कर्मियों के बीच चल रहे विवाद को जानकारी के रूप में प्रस्तुत करना है। किसी भी प्रकार के आंदोलन को उकसाने या समर्थन देने का उद्देश्य नहीं है।

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