BTSC 10709 ANM पटना उच्च न्यायालय के आदेश आने के बाद आयोग सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में
आप सब जानते है की 18 अप्रैल को सारी दलीलें सुन लेने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और 29 अप्रैल को अपना एतिहासिक फैसला सुनाया । ये तो सुरू से ही तय था फैसला आने के बाद किसी ik पछ को नाराज होना ही था चाहे वो संविदा कर्मी हो या सीबीटी पास अभ्यर्थी हो किसी में तो दोष उत्पन्न होना ही था मगर पटना उच्च न्यायालय के सिंगल बेंच और डबल बेंच ने भी माना भर्ती प्रक्रिया के दौरान नियम में बदलाव किया गया और भर्ती प्रक्रिया के दौरान सरकार नियम में बदलाव नहीं कर सकती इससे भर्ती पक्रिया पर प्रभाव पड़ता है। पटना उच्च न्यायलय ने साफ साफ कहा है कि 52 नंबर point साफ साफ कहा है कि
वर्तमान में किया गया संशोधन निश्चित रूप से एक है।
‘बीच में नियम में बदलाव’ चूंकि आवेदन के मानदंड बिल्कुल नहीं बदले गए हैं और केवल चयन का तरीका बदला गया है। राज्य और दूसरी अधिसूचना के तहत आवेदन करने वालों की रिट अपील खारिज की जाती है। हम मौजूदा रिक्तियों में नियमित नियुक्तियों के लिए विद्वान महाधिवक्ता द्वारा उठाए गए औचित्य को पूरी तरह से समझते हैं, जिससे राज्य के भीतर स्वास्थ्य देखभाल में भी वृद्धि होगी। चाहे वह पहले विज्ञापन के तहत हो या नए विज्ञापन के तहत, चयन एक मेरिट सूची जारी करने और उसके आधार पर नियुक्तियां करने की दहलीज पर है। राज्य वर्ष 2022 के पूर्व विज्ञापन के अनुसार चयन को अंतिम रूप देने और नियुक्तियाँ करने के लिए बाध्य होगा।
संविदा कर्मी के अधिवक्ता अभिनव कुमार श्रीवास्तव ने दलीलें दी की कैसे अदालत के सुनवाई के दौरान आयोग ने 2023 नियमावली के अनुसार आनन फानन में सीबीटी एक्जाम लिया और स्कोर कार्ड जारी किया ताकि कोर्ट के समक्ष अपना दावा मजबूत कर सके मगर इस तरह आयोग को नहीं करना चाहिए था मगर आयोग ने फिर भी किया आप सब 47 नंबर पॉइंट पर साफ साफ देख सकते है की चीफ जस्टिस ने माना की ऐसा जान बूझकर किया गया कोर्ट को गुमराह करने के लिए कोर्ट का जजमेंट 47 नंबर पॉइंट को समझे
वर्तमान मामले में, एक नया नियम है।
लाया गया लेकिन उस पर कोई पूर्वप्रभावी प्रभाव नहीं डाला गया। पहले के नियम के अनुसार चयन वर्ष 2022 में शुरू हुआ था और आगे बढ़ाया गया था और पूरा होने वाला था। नये नियम लाये जाने के बाद भी आयोग ने पूर्व विज्ञापन के आधार पर ही कार्यवाही की थी, जो कि नियमों के अनुरूप था।
यहां भी स्थिति वैसी ही है।
2023 के नियम लागू होने के बाद, एएनएम के चयन के लिए कार्यवाही शुरू हुई और जारी रही 2018 के नियमों को तार्किक परिणति तक ले जाना होगा। अंकों का चयन और तरीका 2018 के नियमों के तहत निर्धारित होना चाहिए; जो 2023 के नियमों से पहले शुरू किए गए तत्काल चयन के प्रतिबंधित उद्देश्य के लिए 2018 के नियमों को उसी खंड द्वारा निरस्त किए जाने के बावजूद 2023 के नियमों में बचत खंड द्वारा मान्य है।
नियम को ताक पर रखकर सारी परिक्रिया सुरू की गई और अपनी मनमानी करता गया।
अर्हक परीक्षा के अंक को ख़त्म कर दिया गया और उसके स्थान पर प्रतियोगी परीक्षा आयोजित की जानी थी। उप सचिव ने आयोग को संबोधित एक पत्र में 2023 के नियमों के अनुसार प्रतिस्पर्धी परीक्षा आयोजित करने के बाद सिफारिशें करने का अनुरोध किया। यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत वर्ष 2023 में बनाए गए विशिष्ट नियम के खिलाफ होगा। 2023 के नियमों के निरसन और बचत खंड ने पहले के नियम के तहत की गई प्रत्येक कार्रवाई को मान्य किया। उपरोक्त तर्क के आधार पर, हमें यह मानना होगा कि जो दूसरा विज्ञापन लाया गया था, उसमें पात्रता या आयु मानदंड में कोई बदलाव किए बिना नए आवेदन मांगे गए थे, लेकिन इसके परिणामस्वरूप केवल चयन के तरीके में बदलाव किया गया था; निश्चित रूप से यह चयन के बीच में नियम का बदलाव है
आप देख सकते हो हर दलीलें में कोर्ट ने माना संविदा कर्मी की सारी मांगों को सही ठहराया और आयोग को मुंह कि खानी पड़ी अदालत में सर्वोच्च न्यायालय का जजमेंट भी रखा गया 37 नंबर पॉइंट पर करुणेश कुमार का दिया गया है आप सब भी देख सकते है जजमेंट
आयोग सुप्रीम कोर्ट ( सर्वोच्च न्यायालय ) जाने की तैयारी
हमारे संवादाता ने जब आयोग से बात की तो उन्होंने बताया की हम समीक्षा कर रहे है वकीलों से जजमेंट को समझने की कोसीस की जा रही है स्वास्थ्य विभाग भी समीक्षा करेगा इसमें क्या किया जा सकता है अगर जरूरत महसूस हुई तो सर्वोच्च न्यायालय भी जा सकते है हर संभव प्रयास किया जाएगा की सीबीटी पास अभियार्थी के साथ कोई अन्नाय नहीं हो।