china भारत की बॉर्डर की तरफ चुपके से टनल पे टनल बनाए जा रहा, कैसे इक ही दिन में पहाड़ों के बीचों बीच रास्ता निकाल रहा

भारत का धूर्त पड़ोसी चाइना बेहद तेज गति से भारत की ओर बढ़ रहा है। उसे मालूम चल चुका है कि भारत ही वो देश है जो एशिया में चीन को हरा सकता है। चीन को खौफ है, डर है, भाई है भारत का ये कहीं चीन के वेस्टर्न दुश्मन भारत को स्पांसर करना ना शुरू कर दे। चीन के खिलाफ़ चीन के स्वामित्व को उसके अधिपत्य को एरशिया के अंदर कोई अगर ललकार सकता है चुनौती दे सकता है तो वो है भारत और भारत पर दाव खेल सकते हैं सारे वेस्टर्न कंट्रीज़ खासकर चीन का सबसे बड़ा इकोनॉमिकल कॉम्पिटेंट। अमेरिका अमेरिका प्रतिस्पर्धा की इस आड़ में चीन को रौंदने के लिए भारत का इस्तेमाल कर सकता है। भारत को वो सारी सुविधाएं दे सकता है जिससे वो एशिया में रूल कर सकता है। लेकिन चीन को ये डर भी सता रहा है कि भारत अपने आप में एक बहुत ही तेजी से बढ़ता एक देश है जो सीधे चाइना को हिट कर सकता और इसीलिए चीन बेहद तेज गति से भारत के बॉर्डर के तरफ आ रहा है। कैसे आ रहा है अपने इंजीनियर अपने इंफ्रास्ट्रक्चर अडवांस्ड इंफ्रास्ट्रक्चर टेक्नोलॉजीज के बूथ क्या आप जानते हैं चीन एकदम जल्दी कैसे बड़े बड़े बिल्डिंग बना लेता है?

कैसे अपने ट्रेनों को अपने रेलवेज को एक्सटेंड करता जा रहा है? कैसे अंडरग्राउंड टनल्स बना रहा है? कैसे 5जी नेटवर्क हो, चाहे गैस पाइप लाइन हो, पूरे चीन में जो डेवलपमेंट कर पा रहा है उसके पीछे हो उसकी टनल बोरिंग मशीन।आपको जानकर या आश्चर्य होगा कि चीन पहाड़ तक को छेदने वाला है और ऐसा वैसा पहाड़ नहीं दोस्तों, दुनिया का सबसे ऊंची चोटी वाला पहाड़ माउंट एवरेस्ट को होस्ट करने वाली पहाड़ी श्रृंखला हिमालयन पर्वत श्रृंखला हिमालय में क्षेत्र करके चीन ट्रांस हिमालयन रेलवे नेटवर्क बनाने वाला है। क्योंकि भारत के एकदम सीमावर्ती देशों भूटान, नेपाल, तिब्बत इन सब को सीधा कनेक्ट कर देंगे। चीन की मैनलैंड से अरुणाचल प्रदेश के एकदम करीब उसने 5जी नेटवर्क पहुंचा दिया है, जबकि भारत के टी आर टूटी है। थ्री का ही ऐसे शहर है जहाँ तक 5जी अच्छी तरीके से अपनी सर्विस नहीं पहुंचा पा रहा है। लेकिन चीन ने भारत के एकदम करीब वाला इलाका जिसके ऊपर उसका कब्ज़ा अरुणाचल प्रदेश से सटा हुआ जो चीन का इलाका है। तिब्बत का क्षेत्र जिसके ऊपर चीन ने कब्जा किया हुआ है, वहाँ पर 5जी पहुंचा दिए इन्हीं अंडरग्राउंड टनल सुरंगों के जरिए जो वो बेहद चंद चंद महीनों के अंदर बना लेता है, अंडर ग्राउंड सुरंग और उसके पीछे है उसकी टी बी एम की शक्ति। उसकी टनल बोरिंग कैपेसिटी अंडरग्राउंड टनल्स का इस्तेमाल चीन ने बेहद चालाकी के साथ में अपने देश के अंदर मेट्रो ट्रेन्स को दौड़ाने के लिए किया है। नई नई मेट्रो सुविधा को एक्सपैंड की अंडरग्राउंड रेलवे नेटवर्क को बिछाने में कोशिश की है।कई सारे जो केबल्स है, इंटरनेट केबल्स होगा। इलेक्ट्रिसिटी केबल हो गए, गैस पाइप लाइन हो गए, ये हर जगह सुविधा पहुंचाने के लिए इसने अंडरग्राउंड टनलिंग मशीन का इस्तेमाल किया है, जिससे हर उस इलाके में डेवलपमेंट किया है जो भारत के एकदम करीब है और चीन में दूसरे क्षेत्रों में भी उसने काफी इसका इस्तेमाल किया है। तो आइए जानते हैं वो कौन सी टेक्नोलॉजी है टी बी एम की जिसकी वजह से चीन इतनी दूर गति से प्रोग्रेस कर रहा है और भारत को एकदम आंख में आंख डालकर देखने के लिए भारत के बॉर्डर के एरिया में एकदम तेजी से डेवलपमेंट कर पा रहा है।

फिर चाहे वो दुर्गम हिमालय हो या फिर दूसरे रेगिस्तानी इलाके देखिए टनल बोरिंग मशीन्स जो होती है बड़ी कॉम्प्लेक्स मशीनरी होती है, इसमें एक रोटटिंग कटर हेड लगा होता है।जो कि जमीन के नीचे जा करके काटने का काम करता है। जमीन को अर्थ को रोको, फिर जो मलबा निकलता है उसे कन्विइंग सिस्टम के माध्यम से बाहर कर दिया जाता है। रोतेटिंग हेड धीरे धीरे आगे बढ़ता जाता है, काटता जाता है पत्थरों को मिट्टी को और वहाँ से मलबा जो है कन्वेयिंग सिस्टम से पीछे बाहर निकलता चला जाता है। अब इससे काफी ज्यादा एफिशिएंसी बढ़ गई है। बेहद तेज गति से टनल बोरिंग अंडरग्राउंड टनल को बनाने में कामयाबी मिली है। चीन को टी बी एम मशीन्स की वजह से। इसके वजह से कोई इनका इस्तेमाल कभी कभी पाइप लाइन डालने के लिए केबल डालने के लिए भी करता है और इन्हीं टनल बोरिंग मशीन्स के अंदर सुविधा उपलब्ध होती है, जिससे जब खुदाई होती जाती है तो जो दीवार सुरंग जो बन रही है उसकी उसको रीइन फोर्स करते जाती। कई मशीन्स के अंदर ये फंक्शनलिटी होती है। रीइन फोर्स कहने का मतलब जो दीवार है टनल की उसको सुदृढ़ उनको सॉलिड डिफेन्स प्रदान करते जाती हैं। ऐसा सिस्टम बनाती की वो पूरी तरीके से बेहतरीन दीवारें बन जाए टनल के अंदर की और धंसे मत टनल कभी।तो ये सबसे बड़ी इसकी क्वालिटी होती है और इसके इस्तेमाल से दोस्तों सेफ्टी बढ़ गई है। पुराने जमाने में जब सुरंग खोदने की बात आती थी तो ऐतिहासिक तौर पर कई लोग, कई कर्मचारी मारे जाते थे और जिन तरीकों का इस्तेमाल किया जाता था जिसमें कि बड़े बड़े विस्फोट किए जाते थे। पथरीली जगह में सुरंग बनाने के लिए, ट्रैन रोड बनाने के लिए तो ये पर्यावरण के लिए बहुत खतरनाक होता जब टनल बोरिंग मशीन्स आई नहीं थी। टर्नल निर्माण एक कठिन, खतरनाक और टाइम कॅस्यूमिंग काम था। मैन्युअल खुदाई, बेसिक टूल्स के इस्तेमाल और फिर बाद में विस्फोटक और न्यूमैटिक ड्रिल्स का भी उपयोग किया जाता था। बेहद खतरनाक खतरनाक था ये मेथॅड बहुत ज्यादा खतरनाक था क्योंकि इसमें सुरंग ये कोलैप्स होने का धंसने का खतरा रहता था। फ्लडिंग था भी खतरा रहता था और इसके अलावा जो वर्कर्स काम करते थे उन्हें जहरीली गैस का भी कभी कभी सामना करना पड़ता था तो उनके लिए भी काफी रिस्क रहता था।उन्नीसवीं और बीसवीं सेंचुरी की करें तो उस वक्त टनल निर्माण बहुत लंबा काम हुआ करता था। 2424 साल 2020 साल लगते थे और सैकड़ों वर्कर खत्म हो जाते थे। जो वर्कर काम करते थे उनके अंदर में हेल्त इश्यूस डेवलॅप हो जाते थे, क्योंकि जब पत्थर को छीला जाता था, काटा जाता था तो उससे जो डस निकलती थी, उन्हें फेफड़ों की बिमारी पैदा कर रही थी। टाइम टाइम की अगर बात करें तो टाइम सालों साल का लगता था और निर्माण बहुत ही ज्यादा अनप्रोडक्टिव और खतरनाक हुआ करता था। लेकिन इंटरनल बोरिंग मशीन्स के आने के बाद में एक दम स्मूथ हो चुका है। टनल का निर्माण इसमें ना कोई विस्फोट करना पड़ता है और समय भी बेहद कम लगता है। लेबर्स को एकदम अनदेखी अनजानी जगह में खुदाई के साथ नहीं जाना पड़ता। साथ में टनल बोरिंग मशीन्स जब चलती है, जो दीवार है टनल की, उसको भी जो है सेफ गार्ड।

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