BTSC ने अभ्यर्थियों को आपस में ही उलझा कर रख दिया सीबीटी क्वालीफाइड बनाम संविदा एएनएम
आपको बता दे जबसे यह बहाली आई तबसे ही विवादों के घेरे में है। जब यह बहाली आई तो 2018 की नियमावली लागू थी। मगर इसी बीच में राजद और जदयू की सरकार ने स्वास्थ्य विभाग एएनएम की बहाली के लिए नियमावली में बदलाव कर देती है जब सरकार को नियमावली में बदलाव ही करनी थी तो पहले नियमावली बदलाव कर लेती उसके बाद यह बहाली के लिए विज्ञापन देती मगर नियमावली बदलने से पहले ही विज्ञापन प्रकाशित की जा चुकी थी और यहां तक की 32 हजार सिस्टर जिसमें संविदा पर कार्यरत सिस्टर की भी सूची शामिल है। तभी बीच में नियम को बदलाव करके फिर से फॉर्म भरवारा जाता है और सीबीटी एक्जाम लिया जाता है। इसी बीच संविदा पर कार्यरत एएनएम पहले ही हाई कोर्ट में अपील गायक कर चुकी थी कोर्ट ने रिजल्ट प्रकाशित करने पर रोक लगा दी जब तक कोई फैसला ना आ जाए तब तक रिजल्ट प्रकाशित नहीं कर सकते। मगर इसी बीच आयोग ने अपना खेल कर दिया। कोर्ट के सुनवाई के दौरान ही सीबीटी एक्जाम ले लिया और स्कोर कार्ड भी जारी कर दिया तब से ही यह बहाली एएनएम संविदा बनाम सीबीटी क्वालिफाइड एएनएम हो गया।
10 सालों से एएनएम संविदा पर कार्यरत है।
जो पिछले 10 सालों से एएनएम संविदा पर कार्य कर रहे हैं उनका भी अपना तर्क है कहती है कि हमलोग का अब उम्र भी खत्म होने वाली है ऊपर से पढ़ाई भी छूट चुकी है हम लोग भी जब संविदा पर कार्य करने आए थे तो सीबीटी एक्जाम देकर ही आए थे मगर अब तो पढ़ाई कब की छूट चुकी अब हम लोगों से सीबीटी एग्जाम लिया जायेगा ऐसे में कहां तक उचित है हम लोग इसी आस में थे कि 10 सालों से हैं सरकार अब हमलोग को परमानेंट कर देगी जीवन संभल जाएगा सरकार इस बहाली को पुराने नियमावली पर ही क्लियर करें ताकि इस बहाली में सभी संविदा कर्मियों का जीवन संभल जाएगा।
हम लोगों की क्या गलती है हम लोगों ने तो सीबीटी एग्जाम देकर के पास किया है नौकरी तो हम लोग को मिलना ही चाहिए।
सीबीटी क्वालीफाइड एएनएम का अपना अलग तर्क है उमलोगों का कहना है की आयोग ने जैसा कहा वैसा हम लोगों ने किया है एग्जाम देने को बोला हम लोग एग्जाम क्लियर किया हम लोगों को भी अपना हकमिलना चाहिए। हम लोगों को कुछ नहीं पता बस हम लोगों को सिर्फ नौकरी चाहिए यह आयोग की गलती है उसको एग्जाम नहीं लेना चाहिए था जब मामला कोर्ट में लंबित था संविदा वाले दीदी का मांग जायज है मगर हम लोगों का भी मन जायज है यह सरासर आयोग की गलती है आयोग ने ही हम लोगों को आपस में उलझा के रख दिया है। अब तो जो होना था सो हो गया अब तो कोर्ट का निर्णय आने के बाद आगे की रणनीति पर कार्य किया जाएगा फैसला हक में आता है तो ठीक है नहीं तो हमलोग अपनी मांगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाएगे।
हमलोग सरकार का आदेश का पालन कर रहे है।
इधर आयोग का कहना है हम लोग को सिर्फ युग उम्मीदवार को चयन कर सरकार को देना है सरकार जैसी गाइडलाइन जारी करेगी वैसा हम लोग नियम का पालन करेंगे और उसी अनुसार युग उम्मीदवार का चैन भी करेंगे आयोग अपना मन से कोई भी कार्य नहीं कर रहा स्वास्थ्य विभाग का जैसा आदेश हुआ उसी अनुसार कार्य किया जा रहा है।