NHM:- बिहार एनएचएम महिला स्वास्थ कर्मी अपना आन्दोलन खत्म करेंगी?

एनएचएम महिला स्वास्थ्य कर्मियों की 40 दिनों से जारी हड़ताल: सरकार की अनदेखी से बढ़ता आक्रोश

बिहार में एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) की महिला स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल अब 40 दिनों से जारी है। इस लंबी हड़ताल के बावजूद, राज्य सरकार ने अब तक उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया है, जिससे इन स्वास्थ्य कर्मियों के बीच गहरी निराशा और आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

महत्वपूर्ण मुद्दे और मांगे

एनएचएम महिला स्वास्थ्य कर्मियों की प्रमुख मांगें “समान काम के लिए समान वेतन” और “फेस अटेंडेंस रिकग्निशन सिस्टम (FRAS)” में सुधार से संबंधित हैं। कर्मियों का कहना है कि मौजूदा FRAS प्रणाली में कई खामियां हैं, और इसके कार्यान्वयन में सुधार की आवश्यकता है।

स्वास्थ्य कर्मियों का आरोप है कि सरकार ने इस प्रणाली को लागू करने से पहले उनके साथ कोई विचार-विमर्श नहीं किया, जो कि तानाशाही और तालिबानी आदेश जैसा प्रतीत होता है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां स्वास्थ्य केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, वहां FRAS प्रणाली के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करने में कई कठिनाइयाँ सामने आती हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रभाव

इस हड़ताल का असर बिहार के कई जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा है। आज, कई स्थानों पर टीकाकरण और ओपीडी सेवाएं बाधित हुईं, हालांकि अधिकांश स्थानों पर सेवाएं सामान्य रूप से जारी रहीं। हड़ताल के कारण, ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण और अन्य महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं, जिससे आम जनता को काफी परेशानी हो रही है।

स्वास्थ्य कर्मियों की निराशा और सुझाव

समस्तीपुर की एनएचएम महिला स्वास्थ्य कर्मी, सोनी कुमारी, ने अपनी निराशा जाहिर करते हुए कहा कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में यह नौकरी करना बेहद कठिन हो गया है, और उनके मन में नौकरी छोड़ने के विचार आने लगे हैं।

सारण जिले में कार्यरत एनएचएम महिला स्वास्थ्य कर्मी, पूजा, ने सुझाव दिया कि संघ को हड़ताल खत्म करके अपने काम पर लौटना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को एक लिखित पत्र भेजा जाना चाहिए जिसमें कहा जाए कि जब तक “समान काम के लिए समान वेतन” और FRAS प्रणाली में सुधार नहीं होता, तब तक वे ऑफलाइन उपस्थिति दर्ज करती रहेंगी। इससे काम भी जारी रहेगा और हड़ताल का समर्थन भी बना रहेगा।

सरकार की जिम्मेदारी

सरकार की जिम्मेदारी है कि वह एनएचएम स्वास्थ्य कर्मियों की मांगों पर विचार करे और उनके साथ मिलकर समस्याओं का समाधान ढूंढे। यदि सरकार इन मुद्दों को जल्द नहीं सुलझाती, तो इससे राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है और स्थिति और भी बिगड़ सकती है।

इस समय, बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक है कि सरकार और एनएचएम कर्मी आपसी संवाद और समन्वय के साथ इन मुद्दों को सुलझाएं।

आगे की राह:

एनएचएम स्वास्थ्य कर्मियों का यह आंदोलन एक गंभीर मोड़ पर है। अगर उनकी मांगों पर जल्द विचार नहीं किया गया, तो यह आंदोलन और भी व्यापक रूप ले सकता है। सरकार को इस स्थिति को संभालने के लिए जल्द से जल्द समाधान निकालने की आवश्यकता है, ताकि स्वास्थ्य सेवाओं में रुकावट न आए और कर्मियों की समस्याओं का समाधान हो सके।

निष्कर्ष:
बिहार में एनएचएम महिला स्वास्थ्य कर्मियों की यह हड़ताल राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर एक बड़ा असर डाल सकती है। कर्मियों के लिए काम करने की बेहतर स्थिति और वेतन में सुधार की मांगें पूरी तरह जायज हैं। सरकार को इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाने की जरूरत है ताकि कर्मियों और जनता दोनों को इसका लाभ मिल सके।

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