बिहार सरकार की संविदा नीति: महिला स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मजाक या गंभीरता?
बिहार सरकार के संविदा आधारित बहाली पर उठते सवाल: महिला स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मजाक या वास्तविकता?
बिहार सरकार द्वारा संविदा आधारित नौकरी देने की नीति पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। खासकर, महिला स्वास्थ्य कर्मियों के संदर्भ में, यह विषय और भी संवेदनशील बन जाता है। संविदा पर काम कर रही महिला स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि सरकार उन्हें नियमित नौकरी नहीं देकर उनके साथ मजाक कर रही है।
संविदा आधारित बहाली:
सरकार की नीति पर सवालसरकार के फैसले के अनुसार, नई भर्तियों को संविदा पर निकाला जा रहा है, जबकि पहले से कार्यरत महिला स्वास्थ्य कर्मियों को नियमित करने की कोई ठोस योजना नहीं दिखाई दे रही है। इस पर कई कर्मचारी संगठनों और महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने विरोध जताया है। उनके अनुसार, संविदा आधारित नौकरी में न तो सुरक्षा होती है और न ही स्थिरता, जिससे वे मानसिक और आर्थिक रूप से असुरक्षित महसूस करती हैं।
आंदोलन की जरूरत
कई महिला स्वास्थ्य कर्मियों का मानना है कि यदि सरकार सच में रोजगार देने की मंशा रखती है, तो उसे नियमित बहाली निकालनी चाहिए। संविदा आधारित बहाली को रोकने के लिए वे आंदोलन करने पर विचार कर रही हैं। इन कर्मियों का मानना है कि संविदा पर नौकरी देने से सरकार केवल अपनी वाहवाही लूट रही है, लेकिन यह स्थिति कर्मचारियों के लिए बेहद असुरक्षित है। उन्होंने मांग की है कि सरकार संविदा आधारित बहाली पर रोक लगाकर उन्हें नियमित करने के लिए कदम उठाए।
बिहार में महिला स्वास्थ्य कर्मियों की स्थिति और उनके नियमितीकरण की मांग को लेकर सरकार और कर्मचारियों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। यह समय है कि सरकार संविदा कर्मियों की मांगों को गंभीरता से लेकर, उनके हितों की रक्षा करने के लिए ठोस कदम उठाए।–