एनएचएम संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की लड़ाई कमजोर क्यों पड़ रही है? संगठन की कमी बनी मुख्य कारण

एनएचएम संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की लड़ाई कमजोर क्यों पड़ रही है?

एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) के संविदा स्वास्थ्य कर्मी इन दिनों फेस अटेंडेंस प्रणाली (FRHS) के तहत अपनी हाजिरी दर्ज कराने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि, यह विरोध प्रदर्शन अधिक प्रभावी साबित नहीं हो रहा है। इसका मुख्य कारण है संगठन की कमी।

संगठन की कमी का असर

हमारी टीम द्वारा किए गए विश्लेषण में यह पाया गया कि एनएचएम स्वास्थ्य कर्मियों का न तो राज्य स्तर पर, न ही जिला स्तर पर, और न ही प्रखंड स्तर पर कोई मजबूत संगठन है। इस संगठनात्मक कमजोरी के कारण स्वास्थ्य कर्मी अपनी मांगों को प्रभावी ढंग से सरकार तक पहुंचाने में असमर्थ हैं।

संगठित होने की आवश्यकता

एनएचएम स्वास्थ्य कर्मियों को सबसे पहले प्रखंड स्तर से लेकर राज्य स्तर तक एक मजबूत संगठन बनाना होगा। एक संगठित समूह ही अपनी मांगों को प्रभावी ढंग से सरकार के समक्ष रख सकता है और आंदोलन को व्यापक असरदार बना सकता है।

प्रमुख बिंदु

  1. फेस अटेंडेंस प्रणाली (FRHS): एनएचएम स्वास्थ्य कर्मियों का विरोध इस प्रणाली के खिलाफ है, जिसमें उन्हें अपनी हाजिरी फेस रिकग्निशन के माध्यम से दर्ज करनी होती है।
  2. संगठन की कमी: एनएचएम स्वास्थ्य कर्मियों का कोई मजबूत संगठन न होने के कारण उनकी मांगें प्रभावी ढंग से सरकार तक नहीं पहुंच पा रही हैं।
  3. संगठित होना जरूरी: स्वास्थ्य कर्मियों को प्रखंड, जिला और राज्य स्तर पर संगठन बनाकर ही अपनी मांगों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए।
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एनएचएम संविदा स्वास्थ्य कर्मियों का प्रदर्शन फेस अटेंडेंस प्रणाली (FRHS) के खिलाफ कमजोर पड़ रहा है। जानें, क्यों संगठन की कमी उनकी मांगों को प्रभावी ढंग से सरकार तक नहीं पहुंचा पा रही है।

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एनएचएम संविदा स्वास्थ्य कर्मियों का प्रदर्शन और उनकी मांगें तब तक प्रभावी नहीं हो सकतीं, जब तक वे संगठित नहीं होते। एक मजबूत संगठन ही उन्हें अपनी मांगों को सही ढंग से सरकार तक पहुंचाने में मदद कर सकता है और उनके आंदोलन को सफल बना सकता है। इसलिए, एनएचएम स्वास्थ्य कर्मियों को सबसे पहले प्रखंड स्तर से लेकर राज्य स्तर तक एक सशक्त संगठन बनाना चाहिए, ताकि उनकी आवाज सुनी जा सके और उनकी मांगों को उचित सम्मान मिल सके।

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