NHM संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के लिए फेस एप से अटेंडेंस: सुविधाओं और मुद्दों पर सवाल
NHM संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के लिए फेस एप से अटेंडेंस: सुविधाओं और मुद्दों पर सवाल
फेस एप अटेंडेंस की आवश्यकता और स्वास्थ्य केंद्र की सुविधाएँ:
स्वास्थ्य केंद्रों पर फेस एप्लिकेशन से अटेंडेंस लगाने के लिए सरकार ने एक अच्छा कदम उठाया है। इससे कर्मचारियों की उपस्थिति को सटीक तरीके से ट्रैक किया जा सकता है। लेकिन यह सुविधा तभी सफल हो सकती है जब सभी बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध हों। स्वास्थ्य केंद्रों पर शौचालय, पीने का पानी, बिजली और ठहरने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
समानता का अभाव:
फेस एप अटेंडेंस का नियम सिर्फ संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों के लिए लागू किया गया है, जबकि नियमित कर्मचारी और डॉक्टरों को इससे वंचित रखा गया है। यह सरकार की दोहरी नीति को दर्शाता है, जो अल्प वेतनभोगी कर्मचारियों के साथ भेदभावपूर्ण है।
ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याएँ:
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य उपकेंद्रों और आंगनबाड़ी केंद्रों की दूरी अक्सर 2-4 किलोमीटर होती है। तीन बार अटेंडेंस लगाने के लिए इन कर्मचारियों को बार-बार केंद्र से आंगनबाड़ी तक यात्रा करनी पड़ती है, जो उनके लिए अत्यधिक कठिन है। महिलाओं के लिए यह और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है, क्योंकि उन्हें सुरक्षित ठहरने और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ता है।
सुझाव:
सरकार को इस प्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता है। फेस एप्लिकेशन अटेंडेंस को कर्मचारी जहां टीकाकरण या अन्य स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हों, वहीं से लगाने की अनुमति दी जानी चाहिए। साथ ही, सभी स्वास्थ्य कर्मियों, चाहे वह एएनएम हो, नियमित कर्मचारी हो, या सफाई कर्मी, सभी की उपस्थिति इस प्रणाली के माध्यम से दर्ज की जानी चाहिए।
समान काम, समान वेतन:
संविदा पर कार्यरत एएनएम कर्मचारियों की एक प्रमुख मांग समान काम के लिए समान वेतन की है। उन्हें नियमित कर्मचारियों की तुलना में कम वेतन पर अधिक काम करना पड़ता है, जो उनके लिए अन्यायपूर्ण है।
फेस एप से अटेंडेंस लगाना एक अच्छा कदम है, लेकिन इसके लिए सभी बुनियादी सुविधाएँ जरूरी हैं। जानें, संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की समस्याएं और सरकार की दोहरी नीति पर सवाल।
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निष्कर्ष:
फेस एप अटेंडेंस का नियम सरकार की एक अच्छी पहल है, लेकिन इसे सफल बनाने के लिए सभी बुनियादी सुविधाओं का ध्यान रखना आवश्यक है। संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के साथ समानता का व्यवहार होना चाहिए और सभी कर्मचारियों के लिए एक समान नियम लागू होना चाहिए। तभी बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार संभव है।