बिहार में शराबबंदी के बाद बढ़ रहा है गांजा, अफीम और चरस का नशा: नाबालिग बच्चे भी शिकार
बिहार में शराबबंदी के बाद बढ़ रहा है गांजा, अफीम और चरस का नशा: नाबालिग बच्चे भी शिकार
पटना: बिहार में 2016 में लागू की गई शराबबंदी के बाद नशे की लत ने एक नया मोड़ लिया है। शराब की कमी के कारण, लोग अब गांजा, अफीम और चरस जैसे नशीले पदार्थों की ओर बढ़ रहे हैं। इस नई लत का सबसे अधिक शिकार नाबालिग बच्चे हो रहे हैं, जिससे समाज में गंभीर चिंता उत्पन्न हो रही है।
नशीले पदार्थों की बढ़ती मांग
शराबबंदी के बाद नशीले पदार्थों की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है। शराब की कमी ने नशेड़ियों को अन्य विकल्पों की तलाश में धकेल दिया है। गांजा, अफीम और चरस का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे इन पदार्थों का अवैध व्यापार भी फलफूल रहा है।
नाबालिग बच्चों पर प्रभाव
गांजा, अफीम और चरस के नशे की चपेट में नाबालिग बच्चे भी आ रहे हैं। यह न केवल उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए हानिकारक है, बल्कि उनके भविष्य को भी अंधकारमय बना रहा है। स्कूलों और कॉलेजों के आस-पास ऐसे नशीले पदार्थों का अवैध व्यापार आम हो गया है, जिससे युवा पीढ़ी का भविष्य खतरे में पड़ रहा है।
नकली शराब का खतरा
शराबबंदी के बाद नकली शराब का कारोबार भी बढ़ गया है। लोग नकली शराब पीकर अपनी सेहत को गंभीर खतरे में डाल रहे हैं। नकली शराब के सेवन से कई लोग बीमार हो रहे हैं और कुछ मामलों में मौतें भी हो रही हैं। हर साल दिल्ली के अस्पतालों में बिहार से आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, जो नकली शराब के सेवन से स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
नशीले पदार्थों और नकली शराब का सेवन लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रहा है। दिल्ली के अस्पतालों में हर साल बढ़ती मरीजों की संख्या इस बात का प्रमाण है कि नशे की लत ने लोगों के जीवन को कितना प्रभावित किया है। नशे के कारण लीवर, किडनी और हृदय संबंधी समस्याएं आम हो गई हैं, जिससे मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
बिहार में शराबबंदी के बाद नशीले पदार्थों का उपयोग और नकली शराब का सेवन एक गंभीर समस्या बन गई है। नाबालिग बच्चों का नशे की चपेट में आना और नकली शराब के कारण बढ़ती स्वास्थ्य समस्याएं चिंताजनक हैं। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार और समाज को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि नशे की लत से युवा पीढ़ी और समाज को बचाया जा सके।