राज कपूर की खोज: मंदाकिनी की कहानी, राम तेरी गंगा मैली हो गई।।

राज कपूर की खोज: मंदाकिनी की कहानी

परिचय

राज कपूर की दृष्टि ने भारतीय सिनेमा को कई अविस्मरणीय चेहरे और फिल्में दी हैं। ऐसी ही एक कहानी है मेरठ की यास्मीन जोसेफ की, जो बॉलीवुड में मंदाकिनी के नाम से मशहूर हुईं। उनकी पहली फिल्म “राम तेरी गंगा मैली” ने उन्हें रातोंरात सुपरस्टार बना दिया। इस लेख में, हम मंदाकिनी की कहानी और राज कपूर के साथ उनके जुड़ाव पर चर्चा करेंगे।

यास्मीन से मंदाकिनी तक का सफर

एक फिल्मी पार्टी में राज कपूर की नजर यास्मीन पर पड़ी। उस समय राज कपूर अपने छोटे बेटे राजीव कपूर को बॉलीवुड में लॉन्च करने की तैयारी कर रहे थे और “राम तेरी गंगा मैली” नामक फिल्म की प्लानिंग कर रहे थे।

राज कपूर ने यास्मीन को देखते ही उन्हें अपनी फिल्म में लेने का फैसला किया और डिंपल कपाड़िया को ड्रॉप कर दिया। यास्मीन को “राम तेरी गंगा मैली” में काम करने का ऑफर मिला जिसे उन्होंने तुरंत स्वीकार कर लिया। राज कपूर ने ही यास्मीन को उनका फिल्मी नाम मंदाकिनी दिया।

“राम तेरी गंगा मैली” और मंदाकिनी की सफलता

फिल्म “राम तेरी गंगा मैली” में कुछ ऐसे सीन थे जो उस समय के लिए बेहद बोल्ड माने जाते थे। मंदाकिनी ने उन सीन्स को बिना किसी झिझक के पूरे परफेक्शन के साथ शूट किया। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता हासिल की और मंदाकिनी रातोंरात स्टार बन गईं।

राजीव कपूर और पारिवारिक विवाद

हालांकि, इस फिल्म की सफलता से राजीव कपूर को कोई फायदा नहीं हुआ। उन्हें लगा कि उनके पिता राज कपूर ने फिल्म में उनसे ज्यादा ध्यान हिरोइन मंदाकिनी पर दिया। इस कारण से राजीव कपूर और उनके पिता के बीच तनाव पैदा हो गया।

निष्कर्ष

राज कपूर की दृष्टि और यास्मीन जोसेफ की प्रतिभा ने मिलकर मंदाकिनी को एक ऐसा नाम बना दिया जिसे भारतीय सिनेमा कभी नहीं भूलेगा। “राम तेरी गंगा मैली” ने उन्हें एक अद्वितीय पहचान दिलाई, लेकिन इसने कपूर परिवार में तनाव भी पैदा किया।

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