River Megaproject :- Afghanistan रेगिस्तान इलाकों में बना रहा Artificial river
मेगा प्रोजेक्ट्स, आर्टिफीसियल रिवर, कृत्रिम नदी ये सारे River नाम अगर तालिबान किसान छोड़कर देखे जाए तो शायद लोगों को विश्वास नहीं होगा। आज से चंद साल पहले जब तालिबान ने वापस अफगानिस्तान की गद्दी पर कब्जा किया था, अमेरिकियों को भगा कर उसके बाद।किसी को भी ये विश्वास नहीं था की अफगानिस्तान अपने आप को बचा पाएगा। किसी ने सोचा नहीं था किसी गेओ पोलिटिकल एक्स्पर्ट ने ये नहीं कहा था की तालिबान स्टेबल हो जाएगा। वो अफगानिस्तान में स्टेबिलिटी लाएगा और वहाँ पर तरक्की होगी। सबका यही मानना था जब अफगानिस्तान पहले से ज्यादा टेररिस्ट के लिए एक ब्रीडिंग ग्राउंड बन जाएगा, जहाँ से बड़ी मात्रा में टेररिस्ट निकलेंगे और भारत समेत दुनिया के कई कोने में तबाही मचाएंगे।
तालिबान जब आया तो उसने जो किया उसने हैरान करके रख दिया। उसने दुनिया के वेस्टर्न मानसिकता की हेवीनेस्स को यूं कह लीजिए, जो वेस्टर्न, पश्चिमी जो पूरा स्ट्रेटेजी है, जो हावी है। पूरी दुनिया की मानसिकता के ऊपर पूरी दुनिया के लोगों और देशो के ऊपर में उसे गलत साबित करके दिखाया। तालिबान ने बहुत रोड़ीवादिता से अफगानिस्तान को लीड किया लेकिन जो कदम उसने उठाए वो एकदम से अफगानिस्तान की तरक्की पर एकदम बड़ी मुहर लगाने जैसे थे। किसी ने नहीं सोचा था की तालिबान इतनी अच्छी तरीके से अफगानिस्तान को हैंडल करेगा, भारत से सम्बन्ध मधुर करेगा और पाकिस्तान से बिगाड़ लेगा। तालिबान ने जो अभी रास्ता चुना है वो अपने आप में हैरान कर देने वाला लेकिन उससे ज्यादा हैरान कर देने वाला है। मम्मी प्रोजेक्ट जो कभी किसी ने नहीं सोचा था की तालिबान बिल्ड कर सकता है। अफगानिस्तान के ऑलमोस्ट पथरी लेब बंजर रेगिस्तानी जमीन पर आपको हैरानी होगी। दोस्तों अफगानिस्तान में एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट बना है। एक आर्टिफीसियल रिवर का प्रोजेक्ट कहे तो गलत नहीं होगा। अफगानिस्तान एक कृत्रिम नदी छोटी मोटी नहीं दुनिया की सबसे बड़ी कृत्रिम।नदी खोदने का बीड़ा उठाया है। दुनिया की सबसे लंबी आर्टिफीसियल लेवल का रिकॉर्ड अफगानिस्तान के नाम दर्ज होने वाला है और यह कोई और सरकार नहीं बल्कि तालिबानी सरकार बना रही है और वो भी जिन चीजों का इस्तेमाल करके जिन कंस्ट्रक्शन स्ट्रेटेजी का मेथड्स का इस्तेमाल करके बना रही है वो आपको हैरान कर देगा और जीस तरीके से बना रही है तालिबान की सरकार। ये इनको सम्मान से देखने पे आपको मजबूर कर देगा। जी हाँ दोस्त, एक भारत का पड़ोसी पाकिस्तान भी है जो यहाँ वहाँ हर समय जहाँ हो, कभी सऊदी हो, कभी योही हो, कभी अमेरिका हो, हाथ फैलाकर पहुँच जाता है।और दूसरा है तालिबान। अफगानिस्तान के साथ भारत का रिश्ते काफी अच्छे और हो भी क्यों ना हर स्वावलंबी देश से भारत को सम्बन्ध बनाने चाहिए। अफगानिस्तान वो राष्ट्र है जिसने हाथ पहनाना बिल्कुल सही नहीं समझा। इस इतने बड़े प्रोजेक्ट में अब इसका स्केल आपको बताते है। जो प्रोजेक्ट है इसका नाम है कोषा टेपा कैनाल। क्यों तो ये कैनाल है? लेकिन दोस्तों जब इसकी सुनेंगे तो आप फैल जाएंगे।
ये दुनिया की सबसे लंबी आर्टिफीसियल रेफर टेपा कैनाल की लेन्थ है 285 किलोमीटर 285 किलोमीटर इन लेन्थ 100 मीटर इन विड्थ और आठ मीटर इन डेप्त नदी नहीं तो और क्या है? 285 किलोमीटर लम्बी नदी तो अफगानिस्तान की 285 किलोमीटर लम्बी नदी बना रहा है और वो भी बेहद पुरातन रेडीमेन्टरी पुराने ट्रकों का इस्तेमाल करके। कई ट्रक जो मिट्टी को लोड अनलोड करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं वो 1950 और 1960 के बताए जा रहे हैं। सारे लेबर, सारे इंजीनियर, सारे प्लानिंग सब की सब अफगानी लोगों द्वारा की जा रही है। कहीं पर भी इस प्रकार के इस स्केल के मेगा प्रोजेक्ट के अगर बात होती 285 किलोमीटर लंबी नदी खोदने की बात हो रही है।
तो कहीं भी ऐसा निर्माण होता है, चाहे सऊदी हो, चाहे यूएई हो, चाहे कही हो तो बात हमेशा आती है की दुनिया भर की इंजीनियर्स की मदद दी जाती है। दुनिया भर के एक्स्पर्ट से बात की जाती है। अलग अलग देशों से ऐड यानी की सहायता खरीली जाती है। उसके बाद जाकर के निर्माण होता है। लेकिन अफगानिस्तान की सरकार तालिबानी सरकार अपने पैसों से अपने देश के जो मजदूर है उनके दम पर ये निर्माण कर रही है और ये दिखाता है की कितना स्वावलम्बी है। अफगानिस्तान और कितना बिकमंगा है पाकिस्तान? आप समझ लीजिए दोनों के बीच कंपॅरिटी नहीं हो जाएगा और इसीलिए भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते बहुत अच्छे अब आते हैं। मेन मु्द्दे पर क्या आखरी आर्टिफीसियल रिवर बना कैसे रहा है? कहाँ से आ रहा है इसके पास ये सारा ज्ञान क्या है? पूरी प्लानिंग ध्यान से सुनिए। अफगानिस्तान ये 285 किलोमीटर लम्बी जो कोषा केनाल बना रहा है। कोष टेपा कैनाल बना रहा है। इसका मेन पर्पस है कि वो अपने 5,50,000 हेक्टेयर की जमीन क्योंकि बन जब हो चुकी जब पानी नहीं पहुँचता, वहाँ तक पानी पहुंचा सके, इर्रिगेशन पहुंचा सके और इसकी वजह से वहाँ पर फसलों की खेती होनी शुरू हो जाए और टारगेट है कि सेल्फ सुफ्फिसिएन्सी इन ग्रीन प्रोडक्शन अनाज की उपज में खुद को स्वावलंबी बनाना चाहता है। अफगानिस्तान और टारगेट रखा उसने कि आने वाले चंद सालों में वो दुनिया भर को एक्सपोर्ट भी करेगा। गेंहू ये उसका मेन टारगेट है। ये वहाँ पर कोई साली लाना चाहता है। ये जो पानी आएगा 285 किलोमीटर की लेन्थ में तो इस तरीके से स्कैनर को इस नदी को बनाया जा रहा है की सारे मेजर रूरल एरियाज ग्रामीण इलाके शहरी इलाके, कज़बाई इलाके सबके पास से निकल रही है। ये आर्टिफीसियल रिवर और ये सब तक पानी पहुंचाएगी। पीने का पानी इरिगेशन का पानी जब पानी पहुंचेगा तो वहाँ पर लोग जाकर बसना शुरू होंगे। जो उजड़े हुए इलाके थे। जहाँ पापुलेशन नहीं थी वहाँ अफगानिस्तान जाकर बसेंगी अफगानिस्तान लोग जाकर बसेगें वहाँ खेती करेंगे, उस जगह को उसमें हरियाली लाएंगे, मिट्टी की क्वालिटी बेहतर होगी, ज्यादा उपज होगी, सेल्फ सुफ्फिसिएन्सी आएगी। तो इसके लिए इस नदी का निर्माण किया जा रहा है।