BTSC ANM 10709 बहाली का अब क्या होगा,क्यों हो रही है इतनी देर

जब ये बहाली निकली गई थी तो उसे वक्त 2018 की नियमावली लागू थी

आपको बता दे जब यह बहाली निकली गई तो उसे वक्त 2018 की नियमावली लागू थी और फार्म भी इस नियम अनुसार भर गया लगभग 50000 कैंडिडेट ने फॉर्म को फील किया था सब कुछ सही चलते हुए बीटीसी अपना कार्य भी कर रही थी मगर अचानक ऐसा क्या हुआ की जो बहाली में अब तक सभी लोगों का जॉइनिंग हो जाना था मगर अभी तक इसका काउंसलिंग प्रक्रिया तक नहीं हो पाई आपको बता दे कि उसे वक्त रजत और जदयू की सरकार थी उसे वक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव मौजूदा समय के विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी उसे समय स्वास्थ्य मंत्री भी थे तो उन्होंने अचानक से नियम में एक बदलाव कर दिया बदलाव यह कर दिया कि अब जो नंबर बेसिक पर यानी काउंसलिंग के आधार पर जो बहाली होनी थी अब वह बहाली सीबीटी एक्जाम के बेसिक पर होना तय हुआ इसमें बहुत सारे अभ्यर्थियों का एतराज था अब व्यक्तियों यानी कि जो लोग पहले से संविदा पर कार्यरत हैं स्वास्थ्य कर्मी उन लोगों को ऐतराज था कि अब हम लोग की पढ़ाई तो छूट चुकी है और 10 साल से काम भी कर रहे हैं कोरोना के समय भी हम लोगों ने काम किया जब सभी लोग घर में कैद थे तो हम लोगों ने काम किया है कोरोना के समय में और अब अचानक से हम लोगों को कहा जा रहा है कि अब आप लोग एग्जाम देकर के लिए तो हम लोग पहले से जो 10 साल से कम कर रहे हैं तो क्या इस काम का कोई महत्व नहीं जबकि बीएससी ऑलरेडी 32000 का स्क्रुटनी में नाम दे चुकी थी कि इन लोगों का काउंसलिंग होना हैहम लोग कब सिर्फ काउंसलिंग में जाना था उसके बाद जॉइनिंग करना था मगर अचानक से नियम में बदलाव कर दिया जाता है और 2023 की नियमावली लागू कर दी जाती है तो पुराने स्कूटी में जो स्क्रब का नाम आया था वह सभी रद्द कर दिया जाता है और फिर से फॉर्म को भरवाया जाता है के बाद लगभग 60000 के आसपास कैंडिडेट का फॉर्म भरा जाता है अब सीबीटी एक्जाम के द्वारा 10709 करनी है तो महज 8000 का रिजल्ट दिया जाता है इसका मतलब क्या पहले से जो काम कर रहे थे उन लोगों के पास मेरिट नहीं है सरकार को यह भी देखना चाहिए ताकि जो लोग पहले से कम कर रहे हैं वह लोग भी कहीं ना कहीं संविदा पर अगर कार्य कर रहे हैं तो वह लोग भी सीबीटी एक्जाम देकर के ही आए हैं सरकार को करना चाहिए क्या था संविदा पर जो भी लोग भी कार्यरत है उन लोगों को एक्सपीरियंस के आधार पर ऑटोमेटिक प्रमोट करके और बचे हुए सीट पर प्रेशर को मौका देना चाहिए था इससे कहीं किसी के साथ कोई विवाद भी नहीं होता और यह बहाली भी अब तक क्लियर हो चुकी होती आपको बता दे की बहाली मंगल पांडे जी जिस समय यदि और भाजपा यानी एनडीए गठबंधन की जब सरकार थी तो उसे वक्त यह बहाली निकली गई थी मगर रजत और जड़ियों की जब सत्ता आएगी उन्होंने देखा कि इसमें नियम को बदलाव कर दिया सब कुछ अपने क्रेडिट लेने की ओर में कैंडिडेट का भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया जिसका नतीजा यह हुआ की संविदा वाली जो भी नम कार्य कर रहे हैं वह लोग पटना उच्च न्यायालय में अपनी अपील दायर करती है और कोर्ट में उनकी मांगों को सुनते हुए सब कुछ सही ठहराया और 2023 को नियमावली को लड़ने की बात को गलत ठहरा दिया कोर्ट का कहना था कि जब बहाली 2018 के नियमावली से निकल गई तो बीच में आप नियमावली चेंज नहीं कर सकते हैं उसके बाद फिर से सरकार ने डबल बेंच में जाकर अपील दायर कर दी सब कुछ बहस होने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है अब आने वाले कुछ दिनों में पता चल पाएगा कि यह बहाली 2018 की नियमावली पर क्लियर होगी या 2023 के नियमावली पर क्लियर होगी।

वरिष्ठ सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर उन्होंने बताया क्या हो सकता है उन्होंने बोला कि जब सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट है बहुत सारे स्टेट के उच्च न्यायालय का आदेश है कि आप नियमावली बीच में चेंज नहीं कर सकते हैं वह अवैध रूप से हो जाता है जिस तरह जब क्रिकेट मैच में जब शुरू हो जाता है तब बीच में नियम को नहीं बदल सकते हैं फिर अगले मैच के लिए आपको नियम लागू कर सकते हैं लेकिन उसे मैच में हुआ नियम नहीं बदला जा सकता है ठीक उसी तरह एक बहाली में भी वही नियम बैठता है जब कैंडिडेट को फॉर्म भरने से पहले यह 2018 के लिए लागू की गई थी और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट भी है तो लपा में गई है डेवलपमेंट में तो 90% संभावना है कि यह बहाली 2018 की नियमावली पर ही क्लियर होगी।

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